रिपोर्टर: "सुनीता, आप दुनिया की टॉप 10 मेडिकल छात्रों में आती हैं। आपने आखिर मोटापे पर काम करना क्यों चुना?"
देखिए मैं इसके बारे में सार्वजनिक रूप से ज्यादा बात नहीं करना चाहती लेकिन आपको बता देता हूँ कि इसके पीछे के कारण निजी थे। कई साल पहले मेरी माँ का हाई ब्लड प्रेशर से देहांत हो गया था जो उन्हें मोटापे के कारण था। सब ठीक था पर एक रात उन्हें नींद में ही लकवा मार गया और वो बहुत तकलीफ़ में गुजर गईं। ऐसा ही मेरी दादी के साथ हुआ था। तभी से मैंने वजन कम करने के बारे में बहुत विस्तार से पढ़ना शुरू कर दिया। मैं तो दंग रह गया जब मुझे पता चला कि डाइटिंग, कड़ी एक्सर्साइज़, गोलियाँ और लिपोसक्शन - 90% मामलों में स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होते हैं और समस्या को और गंभीर बना देते हैं।मेरी मम्मी भी करीब 5 साल तक कई तरह की डाइटिंग करती थीं और साथ में एरोबिक्स का कॉम्बिनेशन करती थीं।
मैं पिछले 3 साल से इस विषय पर बहुत पढ़ाई कर रही थी। आज जिस नए तरीके के बारे में आज सब बातें कर रहे हैं वह मेरे दिमाग में तब आया था जब मैं अपनी थीसिस कर रही थी। मैं तभी समझ गई थी कि मैंने कुछ नया खोज लिया है लेकिन यह अंदाजा नहीं था कि इतनी सारी कंपनियां और रिसर्च सेंटर इसके पीछे पड़ जाएंगे।
आप कौन सी कंपनियों की बात कर रहे हैं?
जैसे ही मेरे वजन घटाने लेख प्रकाशित हुए तो मुझे मेरे आइडिया को बेचने के कई ऑफर आने लगे। सबसे पहले फ्रांस के लोग आए जिन्होंने मुझे 1,20,000 यूरो का ऑफर दिया। मुझे आखरी ऑफर एक अमेरिकन फार्मास्यूटिकल होल्डिंग कंपनी से आया था जो मेरे आइडिया के लिए साढ़े तीन करोड़ डॉलर देने को तैयार थे। मैं तो इन लोगों से इतना परेशान हो गई कि मुझे अपना फोन नंबर बदलना पड़ा और मैंने अपने सोशल मीडिया के अकाउंट में लॉगिन करना भी बंद किया क्योंकि यह लोग रोज मुझसे बात करने की कोशिश करते थे और मुझे ढूंढते रहते थे।
लेकिन जहां तक मुझे पता है आपने यह फार्मूला नहीं बचा, यह सही है ना?
नहीं, मैंने इसे नहीं बेचा। थोड़ा अजीब लग सकता है पर मैंने यह नया तरीका इसलिए नहीं खोजा कि विदेश के लोग इसे पैसा कमा सके। जरा सोचिए यदि मैं इसे विदेश में बेच देती तो क्या होता? ये लोग इसका पेटेंट करा लेते, दूसरी किसी कंपनी को इसे बनाने से रोकते और रेट महंगे हो जाते। मेरी उम्र कम है पर मैं बेवकूफ़ नहीं हूँ। भारत के लोगों को ठीक होने का मौका ही नहीं मिलेगा। विदेश के डॉक्टर ने तो मुझसे कहा था कि ऐसी चीज की कीमत कम से कम $3,000 होनी चाहिए। लेकिन मेरी नज़रों में यह बिल्कुल गलत है, आप ही बताइए भारत में कितने लोग इसके लिए $3,000 की कीमत चुका सकते हैं।
यही कारण है कि मैंने अपने ही देश में प्रोडक्ट डेवलपमेंट का ऑफर स्वीकार कर लिया। हमने एंडोक्राइनोलॉजी इंस्टीट्यूट, द मैडिसिन अँड फार्मेसी यूनिवर्सिटी, द रिसर्च एंड डेवेलपमेंट इन बायोलॉजी एंड न्यूट्रिशन इंस्टीट्यूट के साथ काम किया है। अब प्रोडक्ट के क्लिनिकल ट्रायल पूरे हो चुके हैं और यह लोगों के लिए उपलब्ध है।
प्रोडक्ट डेवलपमेंट की कोओर्डिंनेटर कल्पना मिश्रा जी थीं - ये मुंबई की एक प्रसिद्दध एंडोक्राइनोलॉजिस्ट, एमपीयू अकैडमीशियन हैं। हमने मिश्रा जी से प्रोडक्ट के बारे में और बताने और भविष्य के प्लान बताने के लिए कहा।रिपोर्टर: "सुनीता के आइडिया में आखिर ऐसा क्या है? क्या इससे बिना परहेज और खेल-कूद के वजन कम किया जा सकता है?"
सुनीता का आइडिया बिल्कुल उसी तरह है जैसे कार के लिए जीपीएस या मैप होता है - यह वजन कम करने का सबसे कम समय लगने वाला तरीका बताता है। यही नहीं, इस तरीके का असर पूरी ज़िंदगी तक रहता है।
सुनीता के फॉर्मूला के आधार पर बने प्रोडक्ट में
सुपर ऑक्सीडेंट हैं जो हमारे दिमाग के एक हिस्से (सेरेब्रल एमिग्डेल) को कैलोरी जमा करना, त्वचा के नीचे चर्बी जमना बंद करने और जंक फूड के प्रति भूख दबाने का सिग्नल भेजता है। इसका नाम है
StayLean.
StayLean - यह एक नया प्रोडक्ट है जो आपको लगातार सात दिन लेना होता है। एक बॉक्स में 25 एक्सट्रैक्ट होते हैं ताकि वसा जलने की गति 10 गुना बढ़ जाए एक्टिवेशन मार्ग इस प्रोडक्ट से मेटाबॉलिज्म तेज हो जाता है, एंडोक्राइन सिस्टम वापस ठीक हो जाता है, ऊतकों का पुनर्निर्माण उत्प्रेरित होता है और भूख दबती है। यह प्रोडक्ट 100% नेचुरल है और मानव शरीर में प्राकृतिक प्रक्रियाओं को सक्रिय रूप से प्रेरित करता है। तेज मेटाबॉलिज्म के कारण वसा जलने लगती है,
डाइटिंग की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसका नतीजा यह होता है कि - त्वचा के नीचे दिक्कत वाली जगहों पर जमी चर्बी हमेशा के लिए जल जाती है और 50 ग्राम/24 घंटे की तेज गति से जलती है!
ये रहे उन प्रतिभागियों के रिज़ल्ट जिन्होंने StayLeanकी टेस्टिंग में हिस्सा लिया था: